हाथरस।
श्यामंकुज स्थित एम.एल.डी.वी. पब्लिक इण्टर कालेज में बल्देव षष्ठी का भव्य आयोजन किया गया। वक्ताओं ने भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई श्रीबल्देव को नमन करते हुए उन्हें सर्वव्यापी एवं सर्वशक्तिमान बतलाते हुए कहा कि उनके पराक्रम के कारण ही उनका नाम बलभद्र पड़ा था। पराक्रम के प्रतीक हल को धारण करने के कारण इनको हलधर भी कहा गया। त्रेतायुग में यह राम के छोटे भाई लक्ष्मण (शेषनाग) के स्वरूप थे किन्तु द्वापर में यह कृष्ण के बड़े भाई बलराम बने। कंस के अत्याचार से बचने के लिए माँ देवकी ने बलराम को अपने गर्भ से माता रोहिणी के गर्भ में स्थानान्तरित कर दिया था इसलिए बलराम माँ रोहिणी के पुत्र कहे जाते हैं।
हाथरस के प्रसिद्ध श्रीदाऊजी महाराज के मंदिर में इसकी श्यामवरण की मूर्ति लगी हुई है। इनकी मूर्ति के साथ माता रेवती जो इनकी पत्नी थीं विराजित हैं। यह निष्पक्ष स्वभाव के थे इसीलिए भाई-भाई के बीच हो रहे महाभारत के महायुद्ध में इन्होंने कृष्ण को किसी का साथ न देने के लिए प्रेरित किया था। किन्तु जब कृष्ण इसके लिए सहमत नहीं हुए तो यह दुःखी होकर तीर्थ-यात्रा पर निकल पड़े थे। यह यदुवंशी थे और गुजरात के द्वारिका एवं सम्पूर्ण भारत में इनके विशाल मंदिर बने हुए हंै। जिसमें बड़ी संख्या में इनको इष्ट मानते हुए धार्मिक विद्वान इनका स्मरण करते हंै।
इस अवसर पर प्रनिका, प्र्रविका, काव्या, दिव्या, गौरव, खुशी, शक्ति, नूतन, कृतिका, देव, निखिल, वैष्णवी, शिखा, पूर्णिमा, निधि, दिव्या, कल्पना शर्मा, संजय मिश्रा, सुनीता गुप्ता, अंजू वाष्र्णेय, सुमन वाष्र्णेय, शशि चैधरी के भव्य संास्कृतिक कार्यक्रमों ने दर्शकों को मंत्र-मुग्ध कर दिया।
कार्यक्रमों को संस्था के डायरेक्टर स्वतंत्र कुमार गुप्त काॅर्डीनेटर आर.पी. कौशिक एवं शैलकान्ता गुप्ता, डिप्टी डायरेक्टर कुमुद कुमार गुप्ता, पूनम वाष्र्णेय आदि ने सम्बोधित करते हुए छात्र-छात्राओं से अपेक्षा की कि वह अपने जीवन में शक्ति के स्वरूप बलदाऊ से प्रेरणा ग्रहण करते हुए अन्याय एवं अत्याचार के विरूद्ध आजीवन संधर्ष करते हुए अपने जीवन को दिशा-दीप्ति से आलोकित करें। कार्यक्रम का संचालन विशाल सिंगला ने किया। अंत में संस्था श्रीमती नीरू गुप्ता ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
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