सिकंदराराऊ / (हसायन ) कोतवाली क्षेत्र के गांव नगला मया मे अभी तक खारे पानी की समस्या से प्रशासन द्वारा कोई निजात न मिलने से आहत होकर चंद्र पाल ने अपनी व्यथा को वताने के लिए मीडिया को लिखा जिसमे कहा कि
मेरे मीडिया बन्धु आपको मेरा नमस्कार
सर आज तक खारे पानी की इस बहुत बड़ी समस्या के सामाधन के लिये किये गये संघर्ष में आपने मेरे कंधे से कंधा मिला कर साथ दिया है।इसके लिये मैं आपका जीवन परियंत आभारी रहूँगा।
सर अब मैं पूरी तरह से हार चुका हूँ, मेरे अन्दर अब और भाग दौड़ करने की तागत बाकी नहीं रह गयी है।मैं जहाँ भी इस समस्या को लेके गया,हर जगह केवल मेरा मजाक उड़ाया गया।फिर वह जिला प्रशासन हो या भारत सरकार का hrd मंत्रालय। और तो और मुझे सबसे बड़ा धक्का कल लगा जब पिछले एक साल की तरह मैंने योगी जी के आवास पर उनसे मिलने के लिये समय माँगने के लिए फ़ोन क्या तो मुझे जवाब मिला,कि आप लिख कर भेज दो,जब मैंने कहा कि सर आखिर मैं कब तक लिख कर भेजता राहू।
वहाँ से मुझे जवाव मिला "जब तक जिन्दा हो तब तक लिखकर भेजते रहो।"
सर जी मेरा दिल टूट गया।
पिछले 10दिन पहले मैंने मोदी जी को भी इस बारे में पत्र लिखकर सूचित किया था।मगर जो मोदी जी से मुझे आखिरी उम्मीद थी वो भी खत्म हो गयी।श्रीमान जिलाधिकारी महोदय तो पहले ही कह चुके थेकि मैं आपको स्टीमेट बनवा के देदेता हूँ, आप अपने आप पास करा लाइये।
मगर हर कर मैं अपने बच्चों को इस तरह देख भी नही सकता।
इसीलिये मैं ने बहुत सोचने के बाद फैसला लिया हैकि "दिनाँक 27जून 2019 को अपनी मासूम बेटियों के साथ अपने अन्तिम सफर पर जाने की तैयारी करनी है, इसके तहत मैं अपने घर के सारे काम काज पहले की तरह से करते हुए पूरे परिवार के साथ अन्न और जल का पूर्ण रूप से त्याग करेंगे।
अब देखना ये होगा कि हमारा ये सफर कब खत्म होगा।
सर मैं आपसे एक विनती और करना चाहूँगा
अपनी कलम की ताकत को दिखाइये, अगर आप नहीं होते तो अब तक देश बिक चुका होता।
जो मेरे परिवार के साथ हुआ है, वो किसी और के साथ ना हो।
धन्यवाद।
एक अभागा पिता जो अपनी बेटियों को पानी भी नहीं पिला सका
चन्द्रपाल सिंह
ग्राम नगला मया / रिपोर्ट सुशील कुमार
मेरे मीडिया बन्धु आपको मेरा नमस्कार
सर आज तक खारे पानी की इस बहुत बड़ी समस्या के सामाधन के लिये किये गये संघर्ष में आपने मेरे कंधे से कंधा मिला कर साथ दिया है।इसके लिये मैं आपका जीवन परियंत आभारी रहूँगा।
सर अब मैं पूरी तरह से हार चुका हूँ, मेरे अन्दर अब और भाग दौड़ करने की तागत बाकी नहीं रह गयी है।मैं जहाँ भी इस समस्या को लेके गया,हर जगह केवल मेरा मजाक उड़ाया गया।फिर वह जिला प्रशासन हो या भारत सरकार का hrd मंत्रालय। और तो और मुझे सबसे बड़ा धक्का कल लगा जब पिछले एक साल की तरह मैंने योगी जी के आवास पर उनसे मिलने के लिये समय माँगने के लिए फ़ोन क्या तो मुझे जवाब मिला,कि आप लिख कर भेज दो,जब मैंने कहा कि सर आखिर मैं कब तक लिख कर भेजता राहू।
वहाँ से मुझे जवाव मिला "जब तक जिन्दा हो तब तक लिखकर भेजते रहो।"
सर जी मेरा दिल टूट गया।
पिछले 10दिन पहले मैंने मोदी जी को भी इस बारे में पत्र लिखकर सूचित किया था।मगर जो मोदी जी से मुझे आखिरी उम्मीद थी वो भी खत्म हो गयी।श्रीमान जिलाधिकारी महोदय तो पहले ही कह चुके थेकि मैं आपको स्टीमेट बनवा के देदेता हूँ, आप अपने आप पास करा लाइये।
मगर हर कर मैं अपने बच्चों को इस तरह देख भी नही सकता।
इसीलिये मैं ने बहुत सोचने के बाद फैसला लिया हैकि "दिनाँक 27जून 2019 को अपनी मासूम बेटियों के साथ अपने अन्तिम सफर पर जाने की तैयारी करनी है, इसके तहत मैं अपने घर के सारे काम काज पहले की तरह से करते हुए पूरे परिवार के साथ अन्न और जल का पूर्ण रूप से त्याग करेंगे।
अब देखना ये होगा कि हमारा ये सफर कब खत्म होगा।
सर मैं आपसे एक विनती और करना चाहूँगा
अपनी कलम की ताकत को दिखाइये, अगर आप नहीं होते तो अब तक देश बिक चुका होता।
जो मेरे परिवार के साथ हुआ है, वो किसी और के साथ ना हो।
धन्यवाद।
एक अभागा पिता जो अपनी बेटियों को पानी भी नहीं पिला सका
चन्द्रपाल सिंह
ग्राम नगला मया / रिपोर्ट सुशील कुमार
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