सासनी तहसील के गांव शेखूपुर अजीत में कब्जा दिलाने गई राजस्व व चकबंदी टीम के सामने ही 75 वर्षीय किसान ने सल्फास खाकर जान दे दी। वह जमीन छिनने से क्षुब्ध थे।
शेखूपुर मदन के ओमप्रकाश सिंह (75) ने आत्मघाती कदम उठाया। ओमप्रकाश के दो बेटे हैं धर्मवीर सिंह व भारतेंद्र। इनका अपने चचेरे भाइयों नेत्रपाल व बृजेश से कई साल से जमीन का विवाद चल रहा है। नेत्रपाल व बृजेश गाजियाबाद रहते हैं। उनका आरोप था कि ताऊ के परिवार ने उनकी जमीन को अपने रकबे में मिला लिया है। ढाई बीघा जमीन का विवाद था। कुछ महीने पहले डीडीसी (उप संचालक चकबंदी) कोर्ट ने नेत्रपाल के पक्ष में आदेश जारी किया। शुक्रवार को चकबंदी अधिकारी महेश सिंह के नेतृत्व में टीम गांव पहुंची। पैमाइश के बाद ट्रैक्टर से मेड़बंदी कराई जा रही थी। ओमप्रकाश व उनके बेटों ने इसका पुरजोर विरोध किया। विरोध बेअसर होते देख ओमप्रकाश ट्रैक्टर के सामने खड़े हो गए तथा सल्फास खा ली। आनन-फानन एंबुलेंस से उन्हें जिला अस्पताल लाया गया, जहां ओमप्रकाश को मृत घोषित कर दिया गया। मौत की खबर से परिवार में कोहराम मच गया। देर शाम धर्मवीर व भारतेंद्र ग्रामीणों के साथ कोतवाली हाथरस जंक्शन पहुंचे तथा राजस्व टीम व चचेरे भाइयों को जिम्मेदार ठहराते हुए तहरीर दी।
शेखूपुर मदन के ओमप्रकाश सिंह (75) ने आत्मघाती कदम उठाया। ओमप्रकाश के दो बेटे हैं धर्मवीर सिंह व भारतेंद्र। इनका अपने चचेरे भाइयों नेत्रपाल व बृजेश से कई साल से जमीन का विवाद चल रहा है। नेत्रपाल व बृजेश गाजियाबाद रहते हैं। उनका आरोप था कि ताऊ के परिवार ने उनकी जमीन को अपने रकबे में मिला लिया है। ढाई बीघा जमीन का विवाद था। कुछ महीने पहले डीडीसी (उप संचालक चकबंदी) कोर्ट ने नेत्रपाल के पक्ष में आदेश जारी किया। शुक्रवार को चकबंदी अधिकारी महेश सिंह के नेतृत्व में टीम गांव पहुंची। पैमाइश के बाद ट्रैक्टर से मेड़बंदी कराई जा रही थी। ओमप्रकाश व उनके बेटों ने इसका पुरजोर विरोध किया। विरोध बेअसर होते देख ओमप्रकाश ट्रैक्टर के सामने खड़े हो गए तथा सल्फास खा ली। आनन-फानन एंबुलेंस से उन्हें जिला अस्पताल लाया गया, जहां ओमप्रकाश को मृत घोषित कर दिया गया। मौत की खबर से परिवार में कोहराम मच गया। देर शाम धर्मवीर व भारतेंद्र ग्रामीणों के साथ कोतवाली हाथरस जंक्शन पहुंचे तथा राजस्व टीम व चचेरे भाइयों को जिम्मेदार ठहराते हुए तहरीर दी।
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