27-अगस्त 21
*घुमन्तु समाज के लोगों ने सरकार से हाथ जोड़कर गुहार की कि हमारे प्राथमिक जरूरतें पूरी की जाए जैसे आवास, पेयजल की व्यवस्था*
*अपने ही देश में बेगानों की तरह रहते है गाडुलिया लोहार समाज के लोग, आजादी के बाद से आज तक नहीं मिली इस समाज को कोई पहचान*
*गाडुलिया लोहार राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र के पश्चिमी हिस्से और उत्तर प्रदेश में रहते हैं, लोहे का काम ही गाडुलिया लोहारों का मुख्य परंपरागत पेशा है, ये लोग घुमंतू समाज के लोग होते हैं, एक बैलगाड़ी ही इनका घर होता है, जिसमें सारी सामग्रियों और साधनों के लादे रहते हैं, जो उनके जीवन के लिए जरूरी हैं। उनके पूर्वज जिस तकनीक का इस्तेमाल करते थे, ठीक उसी तरह की परंपरागत तकनीकी का इस्तेमाल वे आज भी करते हैं, यह तकनीक पिता से पुत्र को स्थानांतरित होती है।*
*रिपोर्ट-यतेन्द्र प्रताप शिवम जादौन*
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