बी.के. शान्ता का किया सम्मान
जब खुद के जज बन जाओगे तो खुद ही खुद को दोषी पाओगे.......
हाथरस। सबकी निस्वार्थ भाव से सेवा करके सबकी दुआयें लेने से खुशी मिलेगी। यही दुआयें इंसान को आगे ले जाती हैं। यह अभिव्यक्ति भारतीय सैना के अनुशासित परिवार में पली एवं बचपन से ही प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के शान्तिपूर्ण एवं पवित्र माहौल में आगे बढ़ी प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के आनन्दपुरी कालोनी के सहज राजयोग प्रशिक्षण केन्द्र की राजयोग शिक्षिका एवं केन्द्र प्रभारी बी.के. शान्ता बहिन ने गोल्डन जुबली जयन्ति के अवसर पर विकास हैप्पी होम स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित जनों का आभार व्यक्त करते हुए की।
इससे पूर्व सत्यम शिवम सुन्दरम गीत की मधुर ध्वनि के मध्य बी.के. दुर्गेश बहिन, बी.के. नीतू बहिन, बी.के. मीना बहिन आदि द्वारा बी.के. शान्ता बहिन को सम्मान स्वरूप चुन्नी, मुकुट आदि पहनाकर सुशोभित किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ सोनई की राजयोग शिक्षिका बी.के. श्वेता बहिन ने ‘पूछो न है कैसी मेरी माँ, एक सच्चे दोस्त जैसी माँ’’ गीत की भावभीनी प्रस्तुति से हुआ। तदुपरान्त दीपकरफी ने सत्यम शिवम सुन्दरम एवं ऐ बाबा तेरी बन्दे हम गीत गाये।
स्वागत नृत्य एवं भावनृत्यों की लम्बी शृंखला में नन्हीं बालिका शिवांगी, शिवानी द्वारा तुम्हें और क्या दूं में दिल के सिवाए आदि गीतों पर भावनृत्य प्रस्तुत किये। धर्मवीर एण्ड पार्टी के कलाकारों ने ब्रज की होली, कान्हा टूट जायेगी मटकी आदि गीतों पर प्रस्तुति करके गोल्डन जुबली में शमा बाँध दिया।
इस अवसर पर सहेली क्लब की यूनिट डायरैक्टर एवं इनरव्हील क्लब की अध्यक्षा बहिन गुंजन दीक्षित ने भी दीपा चढढा, ज्योति बहिन, राधा गावर सहित अनेक सदस्यों सहित बी.के. शान्ता बहिन का सम्मान किया।
आशु कवि अनिल बौहरे ने ‘जब खुद के जज बन जाओगे तो खुद ही खुद को दोषी पाओगे’’ तथा ‘‘गैरों की अर्थी को नमन करते एवं अपनों की अर्थी से नजरें चुराते हैं लोग कवितायें सुनाई। लेखक, टेली फिल्म के गायक कलाकार जे.एस. चैहान ने भी पंक्तियाँ सुनाईं।
रामपुर की बी.के. मीना बहिन, इगलास से पधारीं बी.के. हेमलता बहिन, सोनई की बी.के. दुर्गेश बहिन, मंडराक की बी.के. नीतू बहिन आदि ने भी अपने भावों की अभिव्यक्ति की। विकास हैप्पी होम के प्रबन्धक बिजेन्द्र शर्मा ने भी अपनी शुभकामनायें व्यक्त कीं। इस अवसर पर अनेक गीतापाठशालाओं के सैकड़ों ब्रह्मावत्स मौजूद थे।
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