न्यूज एजेंशीः उत्तर कोरिया के तानाशाह नेता किम जोंग उन ने बुधवार को शीर्ष समिति की आपातकाल बैठक बुलाई। इस बैठक को लेकर अटकलों का दौर जारी है। यह उम्मीद जताई जा रही है कि हनोई शिखर सम्मेलन की असफलता के बाद किम अमेरिका के साथ उपजे तनावपूर्ण संबंधों पर चर्चा कर सकते हैं। उधर, उत्तर कोरियन सेंट्रल एजेंसी (केसीएनए) ने यह संकेत दिया है कि किम उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था को विकसित करने के तौर-तरीके और उस पर बढ़ रहे दबाव पर ध्यान केंद्रीत कर सकते हैं। फिलहाल अभी तक किम की इस बैठक का एजेंडा स्पष्ट नहीं हो सका है। इस बैठक के नतीजों पर अमेरिकी एवं दक्षिण कोरिया की पैनी नजर है। हालांकि, मंगलवार को किम जोंग की वरिष्ठ अफसरों के साथ बैठक में पार्टी को नई रणनीति पर काम करने को आदेश दिया गया था। किम जोंग की सत्तारूढ़ वर्कर्स पार्टी की शीर्ष समिति की इस बैठक को इससे जोड़कर देखा जा रहा है। वर्ष 2018 में एक अहम बैठक में किम ने अपनी पार्टी की नई रणनीतिक लाइन का ऐलान किया था। उन्होंने साफ कहा था कि अब देश का एजेंडा परमाणु विकास न होकर सामाजिक एवं आर्थिक विकास होगा। किम ने इस मौके पर कहा था कि उत्तर कोरिया की परमाणु खोज की यात्रा पूरी हो चुकी है। अब देश को सामाजिक-आर्थिक विकास की ओर अग्रसर होना चाहिए। उनके इस बयान को इस नजरिए से देखा जा रहा था कि किम ने अपना एजेंडे या प्राथमिकताओं का बदल दिया है।
यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि बुधवार की इस बैठक में सत्तारूढ़ पार्टी के कुछ पदाधिकारियों पर गाज गिर सकती है। इसमें वह अफसर शामिल हैं, जो अमेरिका के साथ वार्ता के लिए हनोई गए थे। हनोई शिखर सम्मेलन की विफलता के लिए इन अफसरों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। इसमें शीर्ष दूत किम योंग चोल सहित पार्टी के कुछ प्रमुख पदाधिकारी है। ट्रंप और किम जोंग के बीच सिंगापुर में आयोजित पहले शिखर सम्मेलन को उत्त्र कोरिया की कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा था। पहले शिखर सम्मेलन में कोरियाई प्रायद्वीप के नाभिकीयकरण पर एक अस्पष्ट नीति को जीत के रूप में दिखाया गया था। लेकिन वियतनाम के हनोई में ट्रंप और किम की दूसरी शिखर बैठक बेनतीजा रही थी। हनोई शिखर वार्ता को कूटनीतिक पराजय के रूप में देखा जा रहा है।
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