*फर्जी लैब संचालक व झोलाछाप के कमीशन के बीच पिस रही गरीव जनता, आखिर कब होगी फर्जी लेव संचालकों पर कार्यवाही*
हाथरस: एक ओर जहां कोरोना संक्रमण के बढऩे से जन जीवन अस्त-व्यस्त है, वहीं, दूसरी ओर शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में फर्जी पैथालॉजी सेंटर भी लोगों को मौत के मुंह में धकेलने का निंदनीय कृत्य कर रहे हैं। बिना किसी कागजात और अनुभव के चलाए जा रहे पैथालॉजी सेंटर को रोकने में प्रशासन भी कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है।
*इस तरह ग्रामीण जनता की आंख में झाेंक रहे*
धूल: ग्रामीण क्षेत्र के मेंडू, हाथरस जंक्शन, मुरसान चंदपा शहर में सीयल, मोहनगंज, कोतवाली के सामने गुल्लुमल मिल में जमकर खून की जांच केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। इन संचालकों के पास ना तो कोई डिग्री है और न ही इसको चलाने की कोई तकनीकी अनुभव। ऐसे में ये झोलाछाप संचालक लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। कई झोलाछाप डॉक्टर तो ऐसे हैं जिनके यहां सैंपल लेने के नाम पर एक व्यक्ति सैंपल ले जाता है साथ ही कंप्यूटर से फर्जी रिपोर्ट निकालकर मरीज को दे दी जाती है। फर्जी लैब संचालक एक-एक रिपोर्ट के 700 से 1000 रुपए ले रहे रहे हैं और उसमें से 150-300 रुपए झोलाछाप को भी कमीशन के रूप में दिए जा रहे है। यहां तक की झोलाछाप द्वारा कमीशन के खेल में मरीजों की जांच के लिए पसंदीदा लैब में खून का सैंपल भेज देते हैं। दिलचस्प बात ये है कि अधिकतर लैब मरीजों को प्लेटलेट्स कम व इन्फेक्शन हो जाने की रिपोर्ट थमा रही है और इसके इलाज की बात कहकर झोलाछाप भी मोटी कमाई में जुट गए हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी काफी समय से हाथरस में अपनी सेवा दे रहे हैं लेकिन अपने कार्यकाल में इन्होंने कोई भी फर्जी लैब का भंडाफोड़ नहीं किया। नवागत एसडीएमसी लोगों को उम्मीद है कि ऐसे फर्जी लोग संचालक व झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्यवाही की जाएगी।
Post a Comment